Mai Gaon Se Hu: नागटिब्बा देश और दुनिया में सबसे सस्ता और अच्छे ट्रेकिंग रुट में शामिल है। नागटिब्बा में भगवान नागदेवता मंदिर के साथ बुग्याल, शांति, शुकुन भरा हुआ रमणिक स्थल है। नागटिब्बा का सफर मसूरी से करीब 60-65 किलोमीटर के सफर के बाद यमुना नदी के किनारे बसे नैनबाग कस्बे से शुरू होती है। कोड़ी पतंवाड़ी, श्रीकोट, ऐंदी की सुरम्य घाटी जो कुछ ही वर्षों में मटर, टमाटर सहित गैर मौसमी सब्जियों के उत्पादन के क्षेत्र में बड़ी तेजी से उभरा है।
नागटिब्बा का क्षेत्र अपने सीढ़ीनुमा खेतों में हर वर्ष लाखों रुपए की सब्जियां पैदा करने वाले किसानों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। करीब 11 हजार फीट की ऊंचाई पर नागटिब्बा पर्यटन केन्द्र भी है, जो देश में सबसे तेजी से विकसित होने वाले पर्यटन स्थलों की सूची में शुमार है। आज यहां का अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के गोट विलेज व काफल विलेज सहित सैकड़ों होमस्टे पर्यटन में शानदार कारोबार कर रहे हैं।
नागटिब्बा में हर वर्ष आने वाले पर्यटकों की संख्या में तेजी से वृद्धि हो रही है, जिस कारण यहां के गांवों में शानदार होम स्टे, कैफे, रिजोर्ट खुल गये हैं और खुल रहे हैं। कोविड काल के दो वर्षों में जहां पर्यटन व्यवसाय पूरी तरह ठप्प रहा तो वहीं यहां के युवाओं ने अपना पूरा ध्यान बे मौसमी सब्जियों की खेती में लगाकर अपने उत्पादन को दोगुना कर दिया।
रिवर्स पलायन कर अपने गांव आए कई युवा स्वरोजगार से जुड़े
नागटिब्बा पर्यटन स्थल को विकसित करने का श्रेय पंतवाड़ी गांव के युवा सुभाष रमोला को जाता है जिन्होंने करीब डेढ़ दशक पूर्व वीरान पड़े बेहद सुरम्य स्थल नागटिब्बा पर भविष्य के पर्यटन की संभावना भांप ली थी। सुभाष ने पहाड़ के हजारों युवाओं की तरह देहरादून के प्रतिष्ठित डीबीएस कालेज में उच्च शिक्षा के लिए दाखिला लिया। अपने समाजसेवी रुझान के कारण वे डीबीएस कॉलेज देहरादून के छात्र संघ के अध्यक्ष चुने गए।
जहां युवा किसी बड़े नेता व मंत्री से सटकर उनके खास होने का तमगा लगाकर उसे जिंदगीभर ढ़ो कर गांव से अपना रिश्ता तोड़ डालते हैं। वहीं, सुभाष ने अपने गांव लौटकर अपनी जड़े मजबूत करने का फैसला किया। उसके जज्बे को देखते हुए गांव के लोगों ने उसे ग्राम प्रधान चुन और जौनपुर प्रधान संघठन का अध्यक्ष चुना।
उत्तराखंड के एक युवा सुभाष रमोला की शानदार पहल– अपने गांव को मात्र डेढ़ दशक में ही स्थापित किया पर्यटन के मानचित्र पर– आज देश में सबसे तेजी से उभरते पर्यटन स्थलों में शुमार है नागटिब्बा।– आज पंतवीड़ी व एंदी घाटी के हजारों युवा जुड़ें है पर्यटन व्यवसाय व जैविक खेती से।
सुभाष बताते हैं, वे एक दिन नागटिब्बा पर्वत पर बैठे थे, तब उन्हें लगा कि यदि यह सुरम्य स्थान पर्यटन स्थल के रूप में विकसित हो जाए तो इससे जुड़े पूरे क्षेत्र का कायाकल्प हो सकता है। उन्होने अपनी योजना समाजसेवा से जुड़े कर्नल कोठियाल को बताई और फिर दोनों ने नागटिब्बा के ट्रेक को विकसित किया।
सुभाष ने कर्नल अजय कोठियाल के सहयोग से गोट विलेज रिजोर्ट (Goat Village) बनाया और गोट विलेज में पहाड़ी व्यंजन के साथ पहाड़ी दालें और पहाड़ी खेती की बढ़ावा देने के लिए पहाड़ी समान के आउटलुक स्टोर बनाया। आज यहां के पहाड़ी समान की देश-विदेशों में मांग है। नाग टिब्बा जाने वाले पर्यटकों के लिए आस-पास के गांव बेस कैंप के रूप में विकसित होने लगे हैं और कुछ ही समय में इन गांवों में दर्जनों होम स्टे, रैस्टोरेंट और कैफे स्थापित हो गए हैं।
अब नागटिब्बा पर्यटन स्थल बड़ी-बड़ी कम्पनियों के सीईओज और विदेशियों के पसंदीदा पर्यटन स्थलों में शुमार होने लगा है। यहां का गोट विलेज(Goat Village) और काफल विलेज(Kafal Village) रिजोर्ट स्थानीय शिल्प में शुमार है। यहां जंगली फलदार पेड़ काफल और अन्य फलदार पौधों का रोपण व जैविक सब्जियों के उत्पादन की योजना है, ताकि पर्यटकों को यहां शुद्ध हवा के साथ-साथ शुद्ध फल व भोजन भी मुहैया किया जा सके।
इको फ्रेंडली, सोलर सिस्टम वाला रिजोर्ट
गांवों में पैदा होने वाले जैविक उत्पाद बकरी छाप जैविक उत्पादों सहित अन्य ब्रांडों के साथ देहरादून व दिल्ली के बड़े-बड़े माल व होटलों में अपनी दस्तक देने लगे हैं। सुभाष जिला सहकारी बैंक टिहरी के चैयरमैन हैं, जहां वे अपना अधिकतर समय अपने गांवों में पर्यटन विकास में लगा रहे हैं। सुभाष गांव के किसानों और युवाओं को सहकारी समिति की योजनाओं से लाभाविंत कर रहे हैं और जैविक खेती, स्वरोजगार को बढ़ावा दे रहे हैं, जिसका फायदा टिहरी के युवाओं को अच्छे से मिल रहा है।
उनके साथ स्थानीय युवाओं की बड़ी टीम जुड़ गई है। गत वर्ष इन्हें हंस फाउंडेशन व हमराही कल्याण समिति ने उत्तराखंड प्रवर्तक सम्मान से भी सम्मानित किया। सुभाष जैसे युवा उन राजनीतिक व सामाजिक कार्यकर्ताओं के लिए एक प्रेरणाश्रोत हैं।