Mai Gaon Se Hun: उत्तराखंड सरकार रोजगार की जगह स्वरोजगार को बढ़ावा दे रही है। जिसके चलते कई युवाओं ने सरकार की इस योजना से पहले खुद स्वरोजगार की तरफ कदम उठा लिए थे। उन युवाओं में से एक है अनुज बिष्ट जिन्होंने सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग की जॉब छोड़कर दिल्ली से वापस अपने गांव आकर पशू पालन, बकरी पालन, मुर्गी पालन और जैविक खेती करके एक मॉडल तैयार किया है।
अनुज पौड़ी गढ़वाल जनपद के छोटे से गांव डांग के रहने वाले हैं। अनुज का गांव जनपद मुख्यालय से करीब 14 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। अनुज इंटरमीडिएट करने के बाद उच्च शिक्षा पाने के लिए दिल्ली गए। उच्च शिक्षा करने ग्रहण करने के बाद वह दिल्ली में नामी कंपनी में काम करने लगा उसके बाद वह देहरादून में काम करने आया।
अनुज का मन नौकरी से उब गया था। जिसके बाद एक दिन अनुज ने अपनी नौकरी छोड़ने का निर्णय लिया और वापस अपने गांव चले गए। गांव जाने के बाद उन्होंने गांव में स्वरोजगार के आयाम तलासे। उन्होंने कुछ देशी मूर्गी खरीदी और छोटा सा पोल्ट्री फार्म शुरू किया। शुरूआती दिनों में अनुज को दिक्कतों का सामना करना पड़ा लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और इस स्वरोजगार में महारत हासिल कर ली। अब उनका विशुद्ध देशी मुर्गियों का कारोबार के अलावा, जैविक अदरक की खेती भी करने लगे हैं। जिनकी मांग तेजी से बढ़ने लगी है वे इसका प्रचार-प्रसार किसानों के बीच जाकर कर रहे हैं ताकि इसके उत्पादन में वृद्धि के साथ इसकी मार्केटिंग की अच्छी व्यवस्था हो सके।
अध्ययन के बाद अनुज को यहां की जलवायु मछली पालन के लिए काफी अनुकूल पाई गई और अनुज ने मत्स्य पालन विभाग की सहायता से एक यूनिट लगाई है। जिसका परिणाम सफलतापूर्वक मिल रहा है। अनुज बताते हैं कि एक मेहनती अधिकारी कैसे क्षेत्र के विकास में सहयोग कर सकता है, इसका उदाहरण मत्स्य पालन विभाग पौड़ी के अभिषेक मिश्रा हैं जिनके सहयोग से उनके अलावा कई किसानों ने मत्स्य पालन के यूनिट लगा लिए हैं, मिश्रा खुद गांव में आकर उन्हें खुद प्रशिक्षित करते हैं, जिस कारण क्षेत्र के सभी यूनिट ठीक से विकसित हो रहे हैं।
अनुज ने किसानों को कुछ मुर्गियां देकर सौ से ज्यादा किसानों की एक समिति बना ली है जिससे लोगों को उच्च क्वालिटी के अंडे और चिकन मिलेगा। अनुज किसानों के अंडे और चिकन को बेचने की व्यवस्था भी करते हैं, जिससे किसानों को अपने व्यवसाय को बढ़ाने में आसानी मिल रही है। अनुज के पास अंडे और जैविक उत्पादों की डिमांड बढ़ गई है।
पोल्ट्री फॉर्म, मछली पालन व जैविक खेती से परिचित कराया गांव को और पा रहे हैं अच्छा स्वरोजगारसैकड़ों युवाओं को प्रेरित कर रहे हैं अपने ग्रामीण स्वरोजगार सेसरकारी विभागों व अधिकारियों के सहयोग से संतुष्ट हैं अनुज
अनुज का कहना है कि उन्होंने पिछले 6 सालों में जो सीखा है उसे वे कुछ मिनटों में युवाओं को बता सकते हैं। उनका आगे कहना है, पहाड़ का कोई भी युवा छोटे स्तर पर स्वरोजगार शुरू करके आगे बढ़ना चाहता है तो वे हर समय उनके सहयोग के लिए तैयार रहते हैं।
गुजरात में नौकरी कर रहा युवा को पोल्ट्री फार्म के बारे में बताया तो वह युवा नौकरी छोड़ गांव आया और अनुज से पोल्ट्री फार्म के बारे में प्रशिक्षण ली, उन्होने उन्हें जानकारी देने के साथ आगाह भी किया कि वे अभी छोटे स्तर से काम शुरू कर आगे बढ़ें उससे उन्हें जानकारी व अनुभव दोनों मिलेंगे पर उन्होंने लाखों रुपए निवेश कर बिना किसी खास अनुभव के विशाल पोल्ट्री फार्म खड़ा कर दिया है।
अनुज अब मधुमक्खी पालन की ओर भी कदम बढ़ाने की योजना बना रहे हैं, जिससे शहद, फसलों के परागण से फसल व फलों के उत्पादन में वृद्धि तथा रायल जैली जैसे 40-50 हजार किलो बिकने वाले जीवनोपयोगी पदार्थ भी प्राप्त होते हैं । अनुज की अपने फार्म में होम स्टे व होल्टी टूरिज्म के क्षेत्र में कदम बढ़ाने की भी योजना है। अनुज का कहना है कि वे शुद्ध वातावरण, शुद्ध पानी और जैविक भोजन के साथ अपने मां-बाप की छाया में रह रहे हैं। उनकी दो साल की बेटी फल, मुर्गियां और तरह-तरह की सब्जियों के नाम लेती है और फार्म में जाकर उन्हें पहचानती भी है, जबकि शहरों के बच्चे इन सब को सिर्फ कम्प्यूटर या फिर टीवी में ही देख पाते हैं। जीवन में इससे काफी संतोष मिलता है।
उनका कहना है कि पहाड़ के गांवों में अभी अपना व्यवसाय करने में छोटी छोटी कई समस्याएं आती है पर इन्हे अपनी मेहनत व सरकारी विभागों के सहयोग से हल किया जा सकता है। पर एक बात जरुर है कि गांव का स्वच्छ वातावरण आपको हमेशा नया कार्य करने की प्रेरणा देता रहता है।
अनुज ने अच्छी नौकरी छोड़ गांव में छोटा सा स्वरोजगार शुरू कर आज करीब 4 तरह के स्वरोजगार के क्षेत्र में कदम बढ़ाए हैं। जिसको लेकर वे युवा बेरोजगारों के बीच एक मिसाल हैं। वहीं युवा अनुज से प्रेरित होकर स्वरोजगार के क्षेत्र में आगे बढ़ रहे हैं।