उत्तराखंड में जहां एक के बाद एक भर्ती में धांधली सामने आ रही है। वहीं विधानसभा भर्ती पर भी सवाल उठे है। विधानसभा की करीब 73 लोगों की तदर्थ भर्तियां भी विवादों में आ गई हैं। जहां विधानसभा में बड़े नेताओं के चहेतों पर कांग्रेस ने आरोप लगाएं है तो वहीं कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद्र अग्रवाल का बड़ा बयान सामने आया है। उन्होंने सभी भर्तियों को आवश्यकता अनुसार एवं नियमानुसार बताया है। उन्होंने कहा कि जरूरत के अनुसार अस्थाई भर्ती की गई है।
मीडिया रिपोर्टस के अनुसार विधानसभा बैक डोर नौकरी भर्ती देने के मामले में कांग्रेस लगातार बीजेपी को घेर रही है। मामले में जब मीडिया ने कैबिनेट मंत्री पूर्व विस अध्यक्ष अग्रवाल से सवाल किया तो उन्होंने कहा कि जब वह विधानसभा स्पीकर थे तो आवश्यकता अनुसार ही उन्होंने विधानसभा में अभ्यर्थियों की भर्ती करवाई। इतना ही नहीं उन्होंने आगे कहा कि इससे पहले भी जब-जब विधानसभा स्पीकर को जरूरत लगती है तो विधानसभा में भर्तियां की जाती है।
उन्होंने कहा, हमारे समय में जो भर्तियां की गई उस समय गैरसैंण में ग्रीष्मकालीन राजधानी के तहत स्टाफ की जरूरत थी जिन को अस्थाई तौर पर रखा गया है और विपक्ष इसमें बेवजह तूल दे रहा है। उन्होंने कहा कि 21 सालों में पहली बार ऐसा हुआ है जब सभी भर्तियों को आयोग के माध्यम से करवाया गया है और अगर कोई किसी कारणवश कोर्ट जाता है तो इसमें सरकार का कोई हस्तक्षेप नहीं होता लेकिन हर भर्ती में पारदर्शिता को पूरी तरह रखा गया है।
गौरतलब हो कि कांग्रेस का आरोप है कि भर्ती के नाम पर हजारों अभ्यर्थियों से आवेदन मांगे गए, लेकिन वह भर्ती परीक्षा आयोजित नहीं हुई। उलटे पिछले दरवाजे से मंत्रियों, सत्तारूढ़ दल के वरिष्ठ नेताओं के करीबियों को नौकरियों पर रख लिया गया। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा ने तो बाकायदा उन नेताओं के नाम लिए हैं, जिनके नजदीकी लोगों को विधानसभा में नौकरी पर रखा गया। इतना ही नहीं सोशल मीडिया पर भर्ती की सूचि भी वायरल हो रही है।