नैनीताल: 1842 से अंग्रेजों ने नैनीताल को लंदन की तर्ज पर बहुत तसल्ली और खूबसूरती से बसाया और संजाया , इसकी बसावट और शिल्प की सुंदरता देखते ही बनती थी। जहां राज भवन तथा अन्य कुछ अन्य भवनों को गोथिक शैली में बनाया गया, तो प्रसिद्ध बड़ा बाजार और स्थानीय बाजारो को लंदन की डाउनिंग स्ट्रीट की तर्ज पर सजाया गया। लेकिन पिछले 30 -35 वर्षों में जिस प्रकार कंक्रीट के जंगल में तब्दील होते विकास को नैनीताल ने अपना विकास माड़ल समझा था। उस विकास के मॉडल से पर्यटक तथा स्थानीय नागरिक सभी निराश थे।
नैनीताल के पुराने खूबसूरत दिन फिर लौट आए यह सब के दिल की पीढा और ख्वाहिश थी । वर्ष 2021 में धीरज गर्ब्याल जिलाधिकारी नैनीताल बन कर आएं, वे खुद भी कॉलेज के शिक्षा के दिनों से नैनीताल में ही पले बड़े थे। वे नैनीताल के मिजाज को खूब पहचानते थे । डीएम बन कर आए धीरज गर्ब्याल ने नैनीताल शहर के बिखर रहे पुरातात्विक सौंदर्य को फिर से उसी पुरातन स्वरूप में संवारने का संकल्प लिया ।
उन्होंने सबसे पहले शहर के मुहाने पर उभर आए बद नुमा दाग से रिक्शा स्टैन्ड को तिबारी काष्ठ शिल्प से सजाया , फिर बड़ा बाजार और खड़ी बाजार को लंदन के बाजार की तर्ज पर सजाने का संकल्प लिया ।
थिएटर और नाटक जो नैनीताल शहर की पहचान रही है, उसके इतिहास पुरुष श्री बीएम शाह जिन्होंने प्रसिद्ध “बेडू -पाको” को पुनर्सर्जित किया, जिन्होंने नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में उत्तराखंड को अलग पहचान दी, और बीएम शाह की स्मृति में शहर के मध्य एक ओपन थिएटर का सपना संजोया ।
यह सब ऐतिहासिक कार्य जिन्होंने नैनीताल शहर के पुरातात्विक महत्व एवं सौंदर्य में चार चांद लगा दिए हैं। उन्होंने एक साल से भी कम समय में नैनीताल शहर को आधुनिक बनाकर जनता को समर्पित कर दिया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने असंभव से दिख रहे कार्यों को अपने भागीरथ संकल्प से पूरा करने पर नैनीताल के जिलाधिकारी धीरज गर्ब्याल की पीठ थपथपाई