टिहरी गढ़वाल : स्कूल, जहां से जिंदगी का पहला पढ़ाव शुरू हुआ, स्कूल जहां से दुनिया सीखने और जानने की शुरुआत हुई। स्कूल जहां से सद्भावना सत्कार और आद्रता की पहचान हुई। स्कूल ,जहां से जिंदगी जानने और समझने की शुरुआत हुई।
स्कूल जहां से सीढ़ियां चढ़ने और समझने की शुरुआत हुई। स्कूल ना जाने किन-किन परिस्थितियों में न जाने क्या कुछ सीखा और समझा ना जाने कितने गुरुजनों का आशीर्वाद और साथ मिला ना जाने कितने आदर्श और मार्गदर्शक मिले। स्कूल वही स्कूल जो आज हमें इन सीढ़ियों तक ले आया।
कहानी उस स्कूल की जहां से जिंदगी की शुरुआत अपने ज्ञान की शुरुआत अपने सीढ़ियों की शुरुआत की कहानी उस स्कूल की जहां से मैंने खुद को समझना शुरू किया कहानी मेरे स्कूल की जो हमेशा मेरे मेरे दिल और मेरे उन यादों में हमेशा साथ रहता है।
जी हां राजकीय इंटर कॉलेज श्रीकोट जौनपुर टिहरी गढ़वाल यह स्कूल अपने-आप में बहुत कुछ समेटे हुए है। स्कूल के प्रांगण के चारों तरह हरियाली है, तो वहीं स्कूल चारों तरफ सुंदर पहाड़ों से घिरा है, जहां एक तरफ नागटिब्बा का डांडा तो दूसरी तरफ सुरथात, एक तरफ पत्थरखोल तो दूसरी तरफ नागथात, राजकीय इंटर कॉलेज उन स्कूलों में सुमार हैं जहां संसाधन तो कम है लेकिन ज्ञान भरपुर, जहां बच्चे आज भी धूप में बैठते हैं लेकिन मेहनत में पीछे नहीं रहते हैं। स्कूल के अध्यापक बच्चों को कम संसाधन में भी संसाधन की कमी नहीं होने देते हैं। राजकीय इंटर कॉलेज के छात्र आज अनेक पदों पर तैनात हैं, चाहे निजी संस्थान हो या सरकारी संस्थान, यहां के बच्चे जानते हैं कि कम संसाधनों में किस तरह पढ़ाई कर आगे बढ़ा जा सकता है।
विद्यालय के प्रधानाचार्य ताजवर सिंह नेगी कहते हैं कि उन्होंने इस स्कूल को तब से देखा जब यहां बहुत कम संसाधन हुआ करते थे। यहां के अध्यापक बच्चों पर इतना मेहनत करते हैं कि वो स्कूल के समय के बाद भी बच्चों को पढ़ाने के लिए तैयार रहते हैं उन्होंने आगे कहा कि स्कूल को आधुनिक करने के लिए वे प्रयासरत रहते हैं। वहीं, यहां के स्कूल की बिल्डिंग तो बन गई है लेकिन स्कूल में कोमर्स, कम्प्युटर जैसे कई बिषयों का आभाव अभी भी बना है।
स्कूल के बच्चे अभी भी आधुनिकता से वंचित हैं, पढ़ाई और अध्यापकों का इतना अच्छा वातावरण होने के बाद भी बच्चे आधुनिकता और कई बिषयों से वंचित है। बच्चों को अपने इच्छा और पसंद के बिषय नहीं मिल पाते और वे मजबूरन दूसरे बिषयों का रुक करते हैं। यहां के बच्चे डिबेट-ड्राम में अवल हैं लेकिन मंच नहीं मिलने पर वे पीछे हो जाते हैं। वहीं, यहां के बच्चों का खेल में भी अच्छा प्रर्दशन रहता हैं, लेकिन स्कूल के बच्चों को खेल की उचित व्यवस्था उपलब्ध नहीं है। .स्कूल में अध्यापकों का बहुत अच्छा समर्थन होने के बाद भी बच्चे बहुत सारी व्यवस्थाओं से वंचित हैं, लेकिन स्कूल का वातावरण आप को अपनी तरफ आर्कषित करता है। चाहे वो यहां की हरियाली हो, गुरूजनों का पढ़ाने का तरीका और व्यवहार हो या बच्चों का आदर-सत्कार हो। राजकीय इंटर कॉलेज श्रीकोट से कुछ सिखना और जानना है तो आपको यहां की आबो हवा से रूबरू होना पड़ेगा।