टिहरी गढ़वाल: उत्तराखंड देवभूमी में देवता अपनी छटा समेटे हुए हैं। जहां केदारनाथ में भगवान शिव का वास है तो वहीं शिव उत्तराखंड में कई रुपों में वास करते हैं। टिहरी गढ़वाल में जहां सेमनागराज हैं तो वहीं नागटिब्बा में नागराज हैं। नागटिब्बा के तलहटी इडवालस्यूँ पट्टी में भोलेनाथ नागदेवता के रुप में वास करते हैं। नागदेवता की डोली तीन साल बाद पट्टी के सुख- समृद्धि के लिए पट्टी के प्रवास के बाद अपने थान कोट में स्थापित हो गई है। भगवान की डोली को अपने थान पर स्थापित होते समय नागदेवता की जय-जयकार से गूंजा रहा था।
इडवालस्यूँ पट्टी में नागदेवता की डोली 15 गांव के प्रवास पर थी जिसके बाद 18 दिन बाद नाग देवता अपने थान कोट में 3 साल के लिए स्थापित हो गए हैं। वहीं पट्टी के लोग तीन साल तक देवता के दर्शन अब कोट थान में करेंगे। नागदेवता के स्थापित होते समय पट्टी के लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा सब नागदेवता के भंडारण होते समय नागदेवता की जय-जयकार कर रहे थे। वहीं लोगों की आंखें नम थी। सबने नागदेवता से आशीर्वाद लिया और पट्टी की सुख-समृद्धि की कामना की।
वहीं नागदेवता के भंडारण में पन्यारसेरी गांव के लोगों की तरफ से पट्टी और नागदेवता के दर्शन करने आए लोगों के लिए भंडारे का आयोजन किया हुआ था। जो भी लोग आ रहे थे वे नागदेवता का प्रसाद के साथ अपने घर को विदाई ले रहे थे।
बता दें कि अब 3 साल बाद भदौंऊ (भाद्रपद) को नागदेवता पट्टी में प्रवास करेंगे। तब तक के लिए नागदेवता बैसाख और भादौंऊ के महीने में श्रीकोट मेले में दर्शन देगें।