Mai Gaon Se Hun: उत्तराखंड में जहां एक तरफ युवा बेरोजगार भ्रष्टाचार की लड़ाई लड़ रहें हैं, वहीं कुछ युवा स्वरोजगार से अपना लोहा मनवा रहे हैं। उत्तरकाशी के नौगांव विकासखंड के गोडर पट्टी के लोदन गांव के रोबिन कुमार अपने पोल्ट्री फार्म के कड़क नाथ की मांग देश के कई हिस्सों में होने लगी है। वहीं गांव के 4 अन्य परिवारों ने सेब की आधुनिक रुट स्टाक बाग लगाकर गांव और खुद की आर्थिकी को स्वरोजगार के माध्यम से नई दिशा दी है।
लोदन यमुनोत्री हाईवे में पड़ने वाले सारीगाड़ से 10 किलोमीटर दूर घने जंगलों के बीच बसा है। जहां रोबिन ने कड़कनाथ के साथ अखरोट का बाग भी लगाया है। जिससे उनकी 40 से 50 हजार की कमाई हो जाती है। वहीं सहकारी समिति ने रोबिन के इस पहल को देखते हुए उनकी पोल्ट्री फार्म को आधुनिकरण करने के लिए 3.5 लाख रुपए की मदद की है।
रोबिन ने एमए और बीसीए और होटल मैनेजमेंट में पढ़ाई की है।उन्होंने गुजरात के जामनगर में रिफाइनरी से अपनी नौकरी शुरू की लेकिन उनका मन वहां नहीं लगा, फिर वे देहरादून आए तो वहां नौकरी शुरू की लेकिन कुछ दिन बाद उनका मन वहां भी नहीं लगा। जिसके बाद वे जॉब छोड़ गांव वापस लौट आए और पोल्ट्री फार्म में अपना स्वरोजगार शुरू किया। वहीं, कोविड में उन्होंने कई जरूरतमंदों तक मुफ्त में ऑक्सिजन औप अस्पतालों में बैज उपलब्ध करना में मदद की।
क्षेत्र में किसी भी प्रकार की समस्या हो रोबिन उसके समाधान के लिए आगे रहते हैं। इसमें उनकी जेएनएम (नर्सिंग) प्रशिक्षित पत्नी उनका साथ दे रही हैं वे गांव में छोटी मोटी बीमारी व फस्ट एड में लोगों की मदद करती हैं और उन्हें निःशुल्क दवाइयां देती हैं।
इस पिछड़े क्षेत्र की समस्याओं को देखते हुए रोबिन आरटीआई एक्टिविस्ट भी बन गये हैं जिससे उन्होंने प्रशासन से कई क्षेत्रीय समस्याओं को हल कराने में सफलता मिली है।
रोबिन सामाजिक सरोकारों से जुड़ा अपना एक ब्लॉग भी चलाते हैं जिसकी बढ़ती लोकप्रियता के कारण अब उसकी गुगल में मोनोटाईज हो गया है। रोबिन, समय-समय पर सरकारी योजनाओं की जानकारी के लिए अधिकारियों और ग्रामीणों के शिविर भी आयोजित करते हैं जिससे लोगों को सरकारी योजनाओं का लाभ मिल सके।
पहाड़ के सबसे बड़ी समस्या और मुद्दा पलायन की समस्या पर रोबिन का कहना है कि जब हम शहर में नौकरी करते हैं तो हम सिर्फ अपना और अपने परिवार का पेट भरते हैं और हमारे पहाड़ के गांव बंजर हो जाते हैं, लेकिन जब हम अपने गांव में स्वरोजगार करते हैं तो उससे हमारा ही नहीं पूरे समाज का लाभ होता है। पहाड़ में अब स्वरोजगार की संभावनाएं तेजी से बढ़ रही है। बस, युवाओं को हर काम में आधुनिक तकनीकी अपनाने की जरूरत है।