मुजिब नैथाणी
कोटद्वार में खबरें थीं कि 18 को प्रकरण की जानकारी होते ही क्षेत्रीय पटवारी छुट्टी पर चला गया। प्रभार वर्तमान में निलंबित पटवारी को दिया गया। माजरा समझ आने पर जिस दिन विधानसभा अध्यक्षा कोटद्वार में जिलाधिकारी समेत अधिकारियों की मीटिंग ले रहीं थी। पटवारी वहां केस को रेगुलर पुलिस को देने की गुहार लगाने पहुँचा था। मगर वहां क्या हुआ यह अभी रहस्य है। फिर पटवारी एसओजी में लोकेशन ट्रेस करवाने का पत्र लेकर कोटद्वार थाने पहुंचा तो उसे एसडीएम के पत्र के बिना लोकेशन की कार्यवाही करना मुमकिन नहीं बताया गया। खैर एसडीएम साहब से लोकेशन के लिए पत्र पर हस्ताक्षर कर पटवारी ने उसे एसओजी को दिया।बाकी भाई का फोन बंद है।
सच्चाई जानने के लिए सभी पक्षों को सुना जाना बेहद जरूरी है। क्योंकि तहसील में विद्वान अधिवक्ता बात कर रहे थे कि पटवारी के ऊपर कानूनगो, नायब तहसीलदार, तहसीलदार, एसडीएम जैसी चीजें भी होती हैं , जिनके आगे पटवारी केवल कागज में उनके कथानानुसार जलेबी बनाता है। तो फिर कानूनगो नायब तहसीलदार आदि आदि क्या कहीं और व्यस्त थे ?? या फिर वे भी सस्पेंड किए जाने चाहिए या फिर बड़े अधिकारियों ने पहले तो दबाव में न खुद कुछ किया न कुछ हुआ और बाद में बचाव के लिए …।
यह बात इस लिए लिख रहा हूं कि प्रकरण के अलावा सिस्टम में सुधार होने बेहद जरूरी हैं और सुधार केवल तब हो सकते हैं जब राजनैतिक दबाव व्यक्तिगत हितों की बजाय सामाजिक हितों के लिए बनें। मगर अफसोस है कि व्यक्तिगत हितों ने इतनी पराकाष्ठा कर रखी है कि सिस्टम सुन पट हो गया है।