उत्तराखंड जब से बना तब से पलायन दिन-प्रतिदिन बढ़ता गया है। उत्तराखंड शिक्षा को लेकर सबसे ज्यादा पलायन हुआ है। उसी शिक्षा को लेकर बागेश्वर जिले के रहने वाले ईश्वरी लाल शाह (Ishwari Lal Shah) ने मिशाल पेश की है। उन्होंने अपनी आर्थिक स्थिति और जरूरतों को दरकिनार कर अपनी सारी जमापूंजी स्कूली बच्चों के लिए दान कर दी।
ईश्वरी लाल शाह (Ishwari Lal Shah) मजदूरी करते हैं, बकरियां पालकर परिवार चलाते हैं, लेकिन स्कूल की मदद करने के लिए उन्होंने ढाई लाख रुपये दान किए हैं। ये रकम ईश्वरी लाल (Ishwari Lal Shah) ने बकरियां बेचकर जुटाई थी। ईश्वरी (Ishwari Lal Shah) करुली गांव में रहते हैं। ईश्वरी (Ishwari Lal Shah) ने जिस गांव में जन्म लिया उस गांव में अच्छा खेल मैदान और शिक्षा की व्यवस्था ना होने की पीड़ा उसे सताती रहती थी, जिसे उन्होंने 58 साल की उम्र में पूरा करने का बीड़ा उठाया है। कई बार वो बकरियां चराते हुए जूनियर हाईस्कूल करुली की तरफ भी चले जाया करते थे। वहां उन्होंने देखा कि स्कूल में चारदीवारी नहीं है। जिस वजह से जानवर स्कूली की सीमा में पहुंचकर वहां गंदगी कर देते थे। खेल मैदान की हालत भी खराब थी। तब ईश्वरी लाल ने खेल मैदान और चारदीवारी के लिए बकरी बेचकर अब तक जमा की गई ढाई लाख रुपये की कमाई उन्होंने स्कूल को दान दे दिए। इस राशि से खेल मैदान का निर्माण हो रहा है।
अपने बच्चों का जीवन बेहतर हो इसके लिए हर व्यक्ति दिन-रात मेहनत करता रहता है। थोड़ा सा धन जमा हो जाए तो इशके लोद हल्द्वानी तथा अन्य शहरों में जमीन खरीदने और वहां घर बनाने का सपना देखते हैं, लेकिन करुली गांव के ईश्वरी लाल शाह (Ishwari Lal Shah) का सपना इन सब से जुदा है। उन्होंने इसी गांव के विद्यालय से कक्षा दो पास किया था। परिवार की गरीबी के चलते आगे की पढ़ाई नहीं कर पाए। युवा होते वह पहाड़ के अन्य नौजवान की तरह रोजगार की तलास में महानगरों की ओर चले गए। दिल्ली, मुम्बई, पंजाब, हरियाणा चंड़ीगढ़ समेत करीब डेढ़ दर्जन शहरों में रहे।
इसी बीच उनके माता-पीता बूढ़े होने लगे। अपने मां-बाप की देखभाल के लिए वे 15 साल पहले फिर गांव लौट आए। यहां खेती- बाड़ी के साथ बकरी, भैंस तथा गाय पालन में लग गए, लेकिन गांव के राजूहा में खेल मैदान नहीं होने की पीड़ा उन्हें अंदर ही अंदर सालती रही। बेटी भी इसी विद्यालय में कक्षा सात में पढ़ती है।
ईश्वरी लाल भले ही गरीब हों, लेकिन उनका दिल बहुत बड़ा है। वह कहते हैं कि उनसे स्कूल के लिए जितना बन पड़ा, उन्होंने किया। उनके दिए दान से स्कूल में खेल मैदान और चारदीवारी बन सकेगी। स्कूल के प्रधानाध्यापक नरेंद्र गिरी गोस्वामी ने कहा कि विद्यार्थियों के सुलेखन के दम पर हमारा स्कूल पहले से ही चर्चा में है। अब 58 साल के दानवीर ईश्वरी लाल शाह के चलते स्कूल के विकास कार्यों में मदद मिलेगी। हमने विकास कार्यों को पूरा करने की जिम्मेदारी ईश्वरी लाल शाह को ही दी है, ताकि राशि का सदुपयोग हो सके।
निर्माण कार्य की खुद कर रहे निगरानी
ईश्वरी लाल स्कूल में हो रहे निर्माण कार्य खुद देखभाल कर रहे हैं। उनका कहना है कि वह बच्चों के लिए बेहतर मैदान तैयार करवाएंगे। यदि धनराशि कम पड़ी तो उसे भी पूरा करेंगे। निर्माण की गुणवत्ता पर कोई समझौता नहीं करेंगे।