हरिद्वार: जनपद हरिद्वार में लिंगानुपात में आ रही गिरावट को लेकर पूर्व गर्भाधान और प्रसव पूर्व निदान तकनीक (PCPNDT) को लेकर स्वास्थ्य विभाग हरिद्वार की टीम द्वार जिले के हर ब्लॉक में जन जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। जन जारूकता अभियान के तहत ब्लॉक के हर गांव स्तर पर लोगों को नुक्कड़ नाटक के माध्यम से भ्रूण लिंग जांच करना कानूनी अपराध तथा इसके खिलाफ कार्रवाई के बारे में बताया जा रहा है।
नाटकों माध्यम से लोगों को बेटी है जरूरी भी बताया साथ ही लोगों से सामाजिक बुराई को दूर करने हेतु सहयोग करने की अपील की। कार्यक्रमों में सरकार द्वारा बेटी के लिए चलाई जा रही योजनाओं की भी जानकारी दी गई। नाटक के माध्यम से लोगों को बेटी ना होने की कमी को भी बताया गया जिसे देखकर लोगों का मन भावुक हो उठा।
क्या है पूर्व गर्भाधान और प्रसव पूर्व निदान तकनीक (PCPNDT) अधिनियम, 1994
भारत में कन्या भ्रूण हत्या और गिरते लिंगानुपात को रोकने के लिए भारत की संसद द्वारा पारित एक संघीय कानून है। इस अधिनियम से प्रसव पूर्व लिंग निर्धारण पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। प्री-नेटल डायग्नोस्टिक टेक्निक ‘पीएनडीटी’ एक्ट 1996, के तहत जन्म से पूर्व शिशु के लिंग की जांच पर पाबंदी है। ऐसे में अल्ट्रासाउंड या अल्ट्रासोनोग्राफी कराने वाले जोड़े या करने वाले डाक्टर, लैब कर्मी को तीन से पांच साल सजा और 10 से 50 हजार जुर्माने की सजा का प्रावधान है। प्रत्येक आनुवांशिक परामर्श केंद्र, आनुवांशिक प्रयोगशाला या आनुवांशिक क्लिनिक परामर्श देने या प्रसव पूर्व निदान तकनीकों का संचालन करने में लगे हुए हैं, जैसे कि गर्भाधान से पहले और बाद में लिंग चयन की संभावनाओं के साथ इन विट्रो फर्टिलाइज़ेशन (आईवीएफ) पीसीसीपीटी अधिनियम के दायरे में आता है और इस पर प्रतिबंध है।