Himachal Pradesh: हिमाचल सचिवालय में देर रात करीब 11 बजे मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुख्खू (Sukhwinder Singh Sukhu) से कुल्लू(Kullu) की रहने वाली 27 वर्ष की एक लड़की मुलाकात करने के लिए पहुंची। निराश्रित बेटी नीलम नेगी कड़कड़ाती ठंड में मुख्यमंत्री को अपनी व्यथा सुनाने लगी। निराश्रित बेटी ने मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू को बताया कि उसकी उम्र 27 साल हो चुकी है और अब उसके सिर से छत छीनने वाली है। उसने बताया कि वह जिस बालिका आश्रम में रहती है वहां पर केवल 26 साल तक की लड़कियों को रहने की अनुमति है। ऐसे में उसके पास अब रहने का कोई आसरा नहीं है। कड़कड़ाती ठंड में कांपते हुए अपनी व्यथा बता रही बेटी को पहले सीएम सुक्खू ने ओढ़ने के लिए शॉल दी।
सीएम सुख्सू ने तुरंत अधिकारियों को कॉल करके इस मामले में कार्रवाही करने के निर्देश जारी किए। 2 फरवरी शाम की सरकार ने इस बारे में घोषण कर दी। 15 घंटे के भीतर बालिका आश्रम में रहने वाली लड़कियों के लिए उम्र की सीमा को बढ़ाकर 26 से 27 साल कर दी। इसके अलावा सभी निराश्रित बेटियों को सरकार की ओर से चार बिस्वा जमीन और घर बनाने के लिए उचित धन राशि देने का ऐलान कर दिया।
निराश्रित बहनों के लिए जमीन और धनराशि उपलब्ध करेगी सुख्खू सरकार
सीएम सुख्खू ने कहा, सरकार सभी निराश्रित बेटियों को घर बनाने के लिए जमीन और मकान बनाने के लिए उचित धनराशि उपलब्ध करवाएगी। उन्होंने कहा, जब तक निराश्रित बेटी के लिए आशियाना तैयार नहीं हो जाता, तब तक वह बालिका आश्रम में रह सकेगी। वहीं, सरकार द्वारा एक साल के समय में बेटी के लिए आशियाना तैयार करने का काम किया जाएगा। निराश्रित बहनों के पास अपना कोई ठिकाना नहीं है, उनका भाई सुख्खू और हिमाचल सरकार उन्हें घर बनाने में मदद करेगी।
बच्चों को सहारा देने के लिए सुखाश्रय सहायता कोष बनाया
हिमाचल सरकार ने निराश्रित बच्चों को सहारा देने के लिए सुखाश्रय सहायता कोष भी बनाया है। इस कोष के जरिए निराश्रित बच्चों के उत्थान का काम किया जा रहा है। सीएम सुक्खू ने कहा, सरकार निराश्रित बच्चों की सहायता नहीं कर रही, बल्कि उन्हें उनका अधिकार दिला रही है।