शिवा चौहान ने कहा, “मेरे मन में सेना की वर्दी को लेकर हमेशा से प्यार रहा है। समाज में सेना के जवानों को बहुत सम्मान मिलता है। बचपन से ही मेरा सपना था कि एक दिन सेना की वर्दी पहननी है।”
15 हजार फीट से अधिक ऊंचाई पर दो महीने तक तैनात रहने के दौरान किस तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ा? इस सवाल पर शिवा चौहान ने कहा कि सियाचिन ग्लेशियर पर तैनाती के दौरान सबसे बड़ी चुनौती बेहद कठोर जलवायु का सामना करना है। वहां हमेशा तापमान शून्य से नीचे बना रहता है। तेज हवा से ठंड का असर और बढ़ जाता है। सियाचिन में एक जगह से दूसरी जगह जाना बेहद कठिन है। एक तरफ ऊंची चोटियां हैं तो दूसरी ओर गहरी दरारें। ऐसे जगह पर टिके रहने के लिए मानसिक रूप से बेहद मजबूत रहना पड़ता है।
पिछले दिनों इंडियन आर्मी ने कई महिला अधिकारियों को थिएटर में कमान स्तर की भूमिका दी है। शिवा चौहान ने इस पहल की तारीफ की। उन्होंने कहा कि इससे महिलाओं को सेना में शामिल होने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा। शिवा ने कहा, “मेरा मानना है कि आजकल महिला अधिकारियों को पर्याप्त अवसर मिल रहे हैं। वे अपने पुरुष समकक्षों के साथ समान रूप से काम कर रहीं हैं। इसलिए यह बहुत अच्छी पहल है कि महिलाओं को कमांडिंग भूमिकाएं दी जाएंगी। इससे बहुत सी महिलाएं इंडियन आर्मी में शामिल होने के लिए मोटिवेट होंगी।”
सेना में भर्ती होने की इच्छा रखने वाली लड़कियों से शिवा चौहान ने कहा, “जो महिलाएं सेना में शामिल होने की इच्छुक हैं, उन्हें सबसे पहले अपना मन पक्का करना चाहिए। सेना की नौकरी में सिविल नौकरी के विपरीत शारीरिक और मानसिक मजबूती की जरूरत होती है। सेनी की जरूरत पूरी तरह से अलग है। महिलाओं को मुश्किल स्थितियों में काम करने के लिए तैयार रहना होगा। उन्हें एक जगह से दूसरे जगह जाने के लिए और अकेली रहने के लिए तैयार रहना होगा।”
शिवा चौहान मई 2021 में सेना के इंजीनियर रेजिमेंट में शामिल हुईं थी। वह राजस्थान के उदयपुर की रहने वाली हैं। उन्होंने उदयपुर के एनजेआर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से सिविल इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन किया है।