बर्गर का नाम सुनते ही हर किसी के मुँह में पानी आ ही जाता है ,आज के समय में ऐसा कोई नहीं होगा जिसने कभी बर्गर न खाया हो। फास्ट फूड की इस दुनिया में राजस्थान का भी एक देसी बर्गर नामी ब्रांड मैकडोनाल्ड, वेंडीज, बर्गर किंग आदि को टक्कर दे रहा है। ये है बर्गर फार्म, जिसे स्कूल से निकाले गए दो दोस्तों ने मिलकर घर के ही एक कमरे से शुरू किया और कामयाबी की बुलंदियों तक पहुंचा दिया । प्योर इंडियन मसालों से बनने वाला यह बर्गर आज ब्रांड बन चुका है। बर्गर फॉर्म का आज का टर्नओवर करोडो का है ।
बर्गर के स्वाद ने खड़ा किया कंपनी का ख्वाब
बर्गर फार्म शुरू होने की पीछे की कहानी बहुत ही दिलचप्स है। स्कूल से ड्रॉप आउट हुए परमवीर सिंह और रजत की दोस्ती साल 2013 में एक ट्यूशन सेंटर पर हुई। ट्यूशन खत्म होने के बाद दोनों मार्केट में बर्गर खाने साथ-साथ निकलते थे। एक दिन बर्गर खाते-खाते दोनों के दिमाग में आइडिया आया कि क्यों न बर्गर को ही हम अपना बिजनेस बनाएं। अपने इस आईडिया को वास्तविकता का रूप देने के लिए दोनों फूडी दोस्तों ने मार्केट पर रिसर्च करनी शुरू कर दी । जयपुर से लेकर दिल्ली तक हर बड़े से बड़े नेशनल व मल्टीनेशनल ब्रांड के बर्गर का स्वाद चखा और साल 2014 में सी-स्कीम स्थित अपने घर के एक कमरे से ही पहले आउटलेट की शुरुआत की।
अलग बनाने और दिखाने के लिए किए कई प्रयोग
बर्गर को दूसरों से अलग बनाना और मार्केट में स्टैंड करना एक बड़ी चुनौती थी जिसके चलते दोनों दोस्तों ने कई तरह के एक्सपेरिमेंट्स किए। हेल्दी बनाने के लिए पालक और कॉर्न की मिक्स सब्जी और पनीर डालकर भी नए तरह के बर्गर तैयार किए। सबसे पहला चैलेंज जो उनके सामने आया वो था बर्गर का एक्स फैक्टर ढूंढना। बर्गर फार्म का एक्स फैक्टर बना इंडियन स्पाईसेज, जैसे- लहसुन-अदरक और लोकल मसालों का टेस्ट। इंडियन स्पाईसेज को एक्स फैक्टर चुनने का कारण यह था की जब वे रिसर्च कर रहे थे तब उन्होंने महसूस किया इंटरनेशनल फूड चैन के बर्गर की पैटी काफी फीकी होती थी। हमारे बर्गर की पैटी में इंडियन मसालों को डाला। वहीं, बर्गर को हेल्दी और डाइट कॉन्शियस लोगों को सेल करने के लिए मल्टी ग्रेन बन और व्हीट बन बनवाए। दो व्यक्तियों से शुरू हुए इस बर्गर फार्म में आज 200 से ऊपर का स्टाफ है। बर्गर फार्म के जयपुर में ही 12 आउटलेट्स हैं। इसके अलावा जोधपुर, कोटा और श्रीगंगानगर में भी एक-एक आउटलेट हैं।
भीड़ बड़ने पर घरवाले संभालते थे काम
परमवीर का ने बताया कि शुरू में स्टाफ नहीं था। तब माता-पिता कर्मचारी बन जाते थे और काम में मदद करते थे। दुकान में रजत के परिवार ने भी मदद किया। नए और स्वदेशी परीक्षणों के कारण ग्राहकों की भीड़ बढ़ रही थी। अक्सर जब सब्जियां खत्म हो जाती थीं, तो हम कुछ सामान लेने के लिए दौड़ पड़ते थे। उस समय टेंशन भी मजेदार थी और काम करने में मजा भी आता था। दिन भर की मेहनत के बाद मुझे राहत महसूस होती थी। परमवीर और रजत दोनों का परिवार फूड इंडस्ट्री से नहीं है। परमजीत के परिवार का ऑटोमोबाइल पार्ट्स का कारोबार है। वहीं, रजत के परिवार का ज्वेलरी का कारोबार है।
7 लाख से शुरू किया 25 करोड़ का टर्नओवर
बर्गर फॉर्म जब खुला तब पहले ही दिन 500 ऑर्डर अचीव कर लिए थे। अब हर दिन 10 हजार से ज्यादा बर्गर के ऑर्डर मिल रहे हैं। इंडियन एग्जॉटिक फ्लेवर ही उनके ब्रांड की यूएसपी है। 7 से 8 लाख के इन्वेस्टमेंट से शुरू हुए बर्गर फॉर्म का आज का टर्नओवर 25 करोड़ से ऊपर का है।