Chatradhari Chalda Mahasu: जहां एक तरफ तेरे जाने से न जाने कितने लोग दुखों को झेलते होगे, वहीं दूसरी तरफ तेरे आने पर पूरा इलाका हंसता, खेलता और झूमता होगा। न जाने तू इस पल कितनों को हंसा कर और कितनों को बसा कर चल रहा होगा , दूसरी तरफ न जानें कौन कौन तेरे चले जाने कि बेबसी में टूट रहा होगा।
जौनसार बावर और हिमाचल के ईष्टदेव छत्रधारी चालदा महासू अपने प्रवास में हैं। दो साल समाल्टा थान में विराजमान होने के बाद अब अगले पड़ाव दसौऊ पंशगांव में विराजमान होगें। छत्रधारी समाल्टा गांंव से विदाई ले चुका है। महाराज की विदाई में समाल्टा गांव में मंदिर को दुल्हन की तरह सजाया गया। अपनें अराध्य की विदाई के दौरान भक्तों की आंखे छलछला गयी और वे फफक कर रो पडे़।भक्तों की आंखो से बहती अविरल आंसुओ की धारा अराध्य महाराज से बिछुडने की और उनके प्रति गहरी आस्था को चरितार्थ कर रही थी। चालदा महाराज की विदाई में देश-विदेश से जन सैलाब उमड़ पड़ा।
जहां एक ओर समाल्टा क्षेत्र के श्रद्धालुओं में उनके जाने का दुख है तो वहीं दूसरी ओर दसौऊ पंशगांव व खत बमठाड के लोगों में महाराज के आगमन की खुशी साफ देखी जा सकती है। बीते दो दिनो से पूरा जौनसार बावर चारों ओर महासू देवता के जयकारों से गुंजयमान है और चालदा महासू महाराज की विदाई और आगुवानी में डूबा हुआ है। 1 मई 2023 को चालदा महासू महाराज दसौऊ गांव में विराजमान होंगे।
श्रद्धालु हुए भाव विभोर
समाल्टा गांव की रेनू की आंखों में आंसू छलक रहे थे। उन्होंने बताया कि हमें बुरा लग रहा है कि चालदा महासू महाराज यहां से प्रस्थान कर रहे हैं। डेढ़ साल से हमारे गांव में देवता के प्रति लग्न है और लोग दूर-दूर से देव दर्शन को आते थे। वहीं, देवता के छत्राई स्याणा मातबर सिंह ने कहा कि यह तो महाराज की लीला है। यह देवता मुलुक मालिक है। जब महाराज जी निकलते हैं पूरा इलाका इकट्ठा हो जाता है।
जौनसार बावर के कुल आराध्य देवता हैं महासू देवता। महासू देवता चार भाई हैं। जिनमें सबसे छोटे भाई चालदा महासू देवता हैं। चालदा महासू देवता हमेशा चलायमान रहते हैं, जो प्रवास के दौरान पूरे जौनसार बावर, उत्तराखंड, हिमाचल के विभिन्न क्षेत्रों में 1 साल, 6 महीने, 2 साल, ढाई साल, अलग-अलग समय समय पर प्रवास हेतु निकलते रहते हैं। 29 अप्रैल 2023 को महाराज ग्राम समालटा से अपना 18 महीने का प्रवास पूरा कर 1 मई 2023 को अपनें नयें प्रवास स्थल खत दसऊ में विराजमान होंगे और अगले 2 साल तक खत पट्टी दसौऊ पशगांव में ही रहेंगे। छत्तरधारी के साथ चलता है आस्था का जन सैलाब। महासू महाराज के आगमन को जौनसार बावर में बड़ा आयोजन माना जाता है।