Mai Gaon Se Hun: पहाड़ में रोजगार के अपार संसाधन होने के बाद भी पहाड़ का युवा पलायन की मार झेल रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सच्ची काहवत कही थी की पहाड़ का पानी और पहाड़ की जवानी पहाड़ के काम नहीं आती। पहाड़ का पानी तो नहीं लेकिन पहाड़ की जवानी इस कहावत को झूठा साबित करने लगी है। पहाड़ की जवानी अब पहाड़ की पीड़ा को समझने लगी है और पहाड़ के काम आने लगी है। यहां के युवा रिवर्स पलायन की तरफ बढ़ गए हैं और यहां रोजगार के साथ-साथ मिशाल भी पेश कर रहे हैं।
पहाड़ के पारंपरिक मकान आज लोगों का आकर्षक का केंद्र बने हुए हैं। ऐसा ही टिहरी जिले के नैनबाग तहसील के सेंदूल गांव जो नागटिब्बा के तलहटी में बसा हुआ है। यहां के युवा प्रधान राजेंद्र सिंह चौहान चर्चाओं में है। राजेंद्र ने 60-70 सालों पुराना पत्थर और लकड़ी का स्थानीय शिल्प से बने घर को होम स्टे(Home Stay) में बदलकर युवाओं को रोजगार स्थापित कर रहे हैं।
श्रीराम होम स्टे देश विदेश के पर्यटकों को खूब भा रहा है। पर्यटक होम स्टे के शिल्प पर अध्ययन करने लगे हैं। इस होम स्टे में पहाड़ी व्यंजन ही परोसे जाते हैं जो शुद्ध जैविक फसलों से बनी होती है। हाल ही में अमेरिका और जर्मनी से पर्यटक यहां की मेहमानवाजी से इतने आकर्षित हो गए की उन्होंने दुबारा अन्य साथियों को साथ लाने की इच्छा व्यक्त की।
युवा प्रधान राजेंद्र का कहना है, वे जब ग्राम प्रधान बने तो उन्होंने गांव के नए मॉडल पर काम करना शुरू किया इसके लिए उन्होंने कई गांवो का भ्रमण किया। आखिर उन्होंने गांव में पर्यटन और यहां की संस्कृति के मॉडल को विकसित करने और देश-विदेश तक पहुंचाने का संकल्प लिया जो अन्य विकास कार्य से अलग और हर दिन रोजगार स्थापित करता है।
जौनपुर क्षेत्र अपनी मेहमाननवाजी के लिए जाना जाता है। राजेंद्र ने पर्यटन को गांव का अच्छा और सुंदर मैसेज देने के लिए गांव की साफ- सफाई पर काम किया साथ ही स्थानीय पारंपिरक भोजन को अधिक स्वादिष्ट बनाने पर भी काम किया। गांव के आस पास प्राकृतिक गुफाओं को विकसित किया जो पर्यटकों को खूब पसंद आ रहे हैं। वहीं, गांव में प्राकृतिक जल स्रोत जर्ज हालात में पड़े थे उन्हें भी ठिक कराया गया जहां का पानी RO से भी ज्यादा स्वच्छ है।
राजेंद्र गांव को पर्यटन के रूप में जब विकसित करने पर काम कर रहे थे, तब वन विभाग की डीएफओ(District/Divisional Forest Office) DFO केकसा नसीम व रेंज अधिकारी(Range Officer) मेधावी कृति ने गांव में विंटर कार्निवाल(Winter Carnival) का आयोजन कराया जिसमें काफी लोग शामिल हुए। जिसके बाद वन विभाग की मदद से दक्षिण भारत(South India) के कुछ पर्यटक गांव आए। राजेंद्र कहते हैं कि सरकार की होम स्टे योजना(Home Stay Plan) के नियम भी गांव के लिए लचीले होने चाहिए ताकि अधिक से अधिक लोगों को पर्यटन का लाभ मिल सके। अब राजेन्द्र ने पर्यटन व्यवसाय से जुड़ी कुछ नामी कम्पनियों से सम्पर्क साधा है जिनके सहयोग से गांव में विदेशी पर्यटक आने लगे हैं।
गांव की इंटरनेट पर पर्यटन साइट भी जल्दी बन जाएगी। उन्हें इस बात का मलाल है कि पर्यटन विकास के नाम पर करोड़ों का बजट खपाने वाले नौकरशाह देहरादून के एसी कमरों से निकलकर पहाड़ के गांव की चौपालों तक पहुंचे तो काफी समस्याओं का निराकरण हो सकता है। वैसे राजेन्द्र सिंह जैसे अन्य युवाओं के हौसले बुलंद हैं और उन्हें उम्मीद है कि उनका सेन्दूल गांव ही नहीं बल्कि आस-पास के अन्य गांव भी भविष्य में पर्यटन के नक्शे में जुड़ जाएंगे।