हरदोई के मल्लावां में देवराज इंद्र द्वारा स्थापित और औरंगजेब के द्वारा लूटा गया शिव मंदिर आस्था का केंद्र है। वैसे तो हर समय यहां श्रद्धालुओं का तांता रहता है लेकिन श्रावण मास में यहां हजारों की संख्या में कांवरियों के द्वारा जलाभिषेक किया जाता है। देवराज इंद्र द्वारा स्थापित शिवलिंग पर औरंगजेब की बर्बरता के निशान आज भी मौजूद है।
मल्लावां के राघवरोड़ पर स्थित सुनासीर नाथ मंदिर स्थिति है जो कि क्षेत्र ही नहीं बल्कि देश-विदेशों में प्रसिद्ध है। इस मंदिर में शिवलिंग की स्थापना देवराज इंद्र ने थी। इंद्र का दूसरा नाम सुनासीर भी है इसलिए इसे सुनासीरनाथ मंदिर के नाम से जाना जाता है। सोलहवीं शताब्दी में हिंदू धर्म के आस्था केंद्रों को लूटते हुए बादशाह, औरंगजेब इस मंदिर को निशाना बनाने के लिए यहां आए। जिनका मुकाबला सुनासीरनाथ मढिया के गोस्वामियों ने भी किया लेकिन यहां भी जीत मुगल बादशाह की हुई। उसके बाद फौज ने मंदिर को लूटना शुरु कर दिया और वे मंदिर को लूटकर ले गए। उन्होंने पहले दो कुंतल सोने के घंटे व चांदी के सिक्के लूटे और मंदिर को ध्वस्त कर दिया।
उन्होंने शिवलिंग को भी तोड़ने का प्रयास किया काफी प्रयास के बाद भी जब शिवलिंग नहीं टूटा तो औरंगजेब ने शिवलिंग पर आरा चलाने का आदेश दिया। बताते हैं कि इसी दौरान असंख्य बर्रे व ततैया की फौज मुगल सेना पर टूट पड़ी इस कारण फौज को भागना पड़ा। इन लोगों ने शुक्लापुर तक फौज का पीछा किया। बाद में मंदिर का पुन: निर्माण कार्य भगवंतनगर मल्लावां निवासी मिश्र परिवार की श्रद्धालु यशोदा देवी द्वारा कराया गया। पतली ईट से बने इस मंदिर को श्रद्धालुओं द्वारा अब संगमरमर के पत्थरों से सजा दिया गया।वैसे तो पूरे वर्ष यहां श्रृद्धालु आते हैं लेकिन श्रावण में तो अन्य प्रांतों के लोग भी मंदिर में शिव जी के दर्शन करने के लिए आते हैं।ऐतिहासिक धरोहर को छिपाए सुनासीर नाथ मंदिर को पर्यटक स्थल घोषित करने की मांग काफी दिनों से चली आ रही है लेकिन अभी तक इस पर विचार नहीं किया गया है।