Bullet Train: भारत में बुलेट ट्रेन की परियोजना अभी बन ही रही है। देश में पहली बुलेट ट्रेन मुंबई से अहमदाबाद (Mumbai-Ahmedabad Bullet Train) चलेगी और माना जा रहा है कि इसका सेक्शन 2026 में शुरू हो जाएगा। भारत की बुलेट ट्रेन जापान की टेक्नोलॉजी पर आधारित है और जापान इसके लिए फंड दे रहा है। वहीं, जापान की बुलेट ट्रेन को मॉडर्न इंजीनियरिंग का नगीना माना जाता है। जापान ने 1964 में ही हाई-स्पीड ट्रेन चलानी शुरू कर दी थी। 320 किलोमीटर की तेज रफ्तार से चलने वाली बुलेट ट्रेन को सबसे सुरक्षित ट्रेन माना जाता है।
एक समय ऐसा भी था जब जापान की इन ट्रेनों को बंद करने की नौबत आ गई थी। शुरुआत में इन ट्रेनों के डिजाइन में समस्या थी। जब यह ट्रेन सुरंग से निकलती थी तो इतनी आवाज करती थी कि यात्रियों और आसपास के लोगों के लिए इसे सहना मुश्किल हो जाता था। यह आवाज ऐसी थी जैसे किसी को किसी कमरे में बंद कर दिया गया हो वहां वॉशिंग मशीन चला दी जाए।
साथ ही जहां से यह ट्रेन गुजरती थी, उसके आसपास से लोगों को भी काफी परेशानी होती थी। जापान के इंजीनियरों ने जल्दी ही इस ‘टनल बूम’ का कारण खोज निकाला। जब ट्रेन सुरंग से निकलती है तो बंद जगह के कारण वह हवा को आगे धकेलती है। इससे एयर प्रेशर वेव बनती है। ट्रेन सुरंग से निकलती है जैसे बंदूक से गोली। इससे 70 डेसीबल से अधिक की साउंड वेव जेनरेट होती है और सभी दिशाओं में 400 मीटर की दूरी तक इसका प्रभाव रहता है। कारण तो मिल गया था लेकिन अब समस्या यह थी कि इसका समाधान कैसे किया जाए।
किंगफिशर पक्षी के कारण इस तरह हुआ चमत्कार
ट्रेन से निकलने वाली आवाज कम करने का समाधान रफ्तार कम करना या सुरंग से नहीं गुजरना विकल्प नहीं था। लेकिन इसका समाधान इंजीनियरों के पास नहीं बल्कि प्रकृति के पास था। जापान के इंजीनियर जब इसका समाधान ढूंढ रहे थे तो इक दिन तेज गति से पानी में मछलियों का शिकार कर रही किंगफिशर पक्षी पर पड़ी जसकी चोंच का डिजाइन जापानी इंजीनियरों के लिए वरदान साबित हुआ। पक्षियों पर नजर रखने वाले जापानी इंजीनियर आइजी नकात्सू ने बुलेट ट्रेन के अगले हिस्से को किंगफिशर की चोंच की तर्ज पर डिजाइन किया। उनका यह डिजाइन काम कर गया। बुलेट ट्रेन की टनल बूम की समस्या खत्म हो गई और स्थानीय लोगों ने राहत की सांस ली। इससे ट्रेन की फ्यूल एफिशियंसी और स्पीड भी बढ़ गई। जिससे साबित हो गया कि प्रकृति से बड़ा इंजीनियर कोई नहीं है।
किंगफिशर एक छोटा सा रंगबिरंगा पक्षी है जो अपने शिकाल को पकड़ने के लिए पानी में गोता लगाता है। इसकी चोंच आगे से संकरी होती है और पीछे की तरफ चौड़ी होती जाती है। इससे इसे पानी में गोता लगाने में मदद मिलती है। जापान ने 1964 में ही हाई-स्पीड ट्रेन बना ली थी। इसे आज भी इंजीनियरिंग का नगीना माना जाता है। उसने लगातार रफ्तार, क्षमता और सुरक्षा को बढ़ाते हुए बुलेट ट्रेनें पटरी पर उतारीं। जापान रेलवे ईस्ट की ई5 बुलेट ट्रेन 320 किमी/घंटे की रफ्तार से दौड़ती है जो राजधानी टोक्यो से शिन-आओमोरी की ओर जाती है।