शहरों की जद्दो-जहद से लोग थक जाते हैं और वे आराम के लिए गांव का रुख करते हैं। गांव में सुकुन ही नहीं बल्कि आराम से जीने का तरीका भी है। महात्मा गांधी ने कहा था, ‘भारत की आत्मा गांव में बसती है’। अपना देश विविधताओं का देश है। चाहे वो भाषा हो, संस्कृति हो, खान-पान हो। हर गांव की अलग संस्कृति हैं, अलग रितियां हैं। उत्तराखंड के हर गांव से फौजी निकलता है, तो गुजरात में एक ऐसा गांव हैं जहां हर घर में एक शिक्षक है (Unique Villages of India)। भारत में ही एक ऐसा गांव भी है जहां किसी इंसान के नहीं बल्कि बंदरों के नाम पर कई एकड़ जमीन है।
बंदरों के नाम है कई एकड़ जमीन
बंदरों के उत्पात से गांव क्या शहर के भी लोग परेशान रहते हैं। कहते हैं बंदर और इंसान के पूर्वज एक थे। खाने-पीने की चीज़ें छिनने से लेकर मोबाइल, चश्मा आदि छीनकर भागने तक, बंदर कुछ भी कर सकते हैं। जाहिर है अगर कोई नुकसान करे तो उसे भगाने की ही कोशिश होगी, बंदरों के साथ भी लगभग हर जगह यही होता है सिवाए महाराष्ट्र के एक गांव के। जिला ओसमानाबाद, महाराष्ट्र के उपला नामक गांव में बंदरों को न सिर्फ सम्मान मिलता है बल्कि यहां उनके नाम पर 32 एकड़ जमीन भी है।
शादी पार्टियों में परोसा जाता है खाना
The Times of India के एक लेख के अनुसार, उपला ग्राम पंचायत के जमीन के रिकॉर्ड्स के अनुसार, इस गांव में 32 एकड़ जमीन बंदरों के नाम है। यही नहीं अगर बंदर किसी ग्रामवासी के घर आ जाते हैं तो उन्हें खाना परोसा जाता है। गांव में अगर किसी की शादी हो तो भी बंदरों को खिलाया-पिलाया जाता है।
किसने बंदरों के नाम की ज़मीन, इसका रिकॉर्ड नहीं
गांव के सरपंच ने बताया कि कब और किसने बंदरों के नाम जमीन की थी इस बारे में कोई जानकारी नहीं है। सरपंच बप्पा पडवल ने बताया, ‘पहले गांव के हर अनुष्ठान में बंदरों की सहभागिता होती है। आज गांव में तकरीबन 100 बंदर रहते हैं लेकिन साल दर साल उनकी संख्या घट रही है। ये ऐसे जीव है जो एक जगह नहीं रहते।’