भारत की सीमा 7 देशों से लगी है। जिसमें मुख्य विरोधी देश चीन, पाकिस्तान की सीमा जम्मू-कश्मीर, हिमाचल, सिक्किम, अरूणांचल प्रदेश और उत्तराखंड से लगी है। उत्तराखंड सुंदर वादियों के साथ इतिहास के कई रहस्य अपने में समेटे हुए है। बदरीनाथ से 5 किलोमीटर की दूरी पर माणा गांव को भारत का आखिरी गांव (Last Indian Village) कहा जाता था, अब इस गांव को नया दर्जा मिला है, ये अब भारत का पहला गांव (First Indian Village Mana) है।
उत्तराखंड के चमोली जिले के माणा गांव को कुछ समय पहले तक भारत के आखिरी गांव के रूप में जाना जाता था। लेकिन अब माणा को नई पहचान मिली है, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के घोषणा के बाद माणा को ‘भारत का प्रथम गांव माणा’ (First Indian Village Mana) के नाम से जाना जाने लगा है। अक्टूबर 2022 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी माणा के दौरे पर गए थे। मोदी जी ने कहा था कि माणा को देश का पहला गांव कहना चाहिए और भारत की सीमा पर स्थित हर गांव को यही कहा जाना चाहिए।
प्रथम चाय की दूकान में ले सकते हैं चाय की चुसकी
उत्तराखंड के चार धामों में से एक बद्रीनाथ से माणा गांव लगभग पांच किलोमीटर की दूरी पर है। चमोली जिले के इस गांव से 24 किलोमीटर दूर चीन की सीमा शुरू हो जाती है। माणा समुद्र तल से 3219 मीटर की ऊंचाई पर बसा है। हिमालय की पहाड़ियों से घिरे, सरस्वती नदी के तट पर बसे इस गांव का इतिहास हजारों साल पुराना है। इसी गांव में भारत की प्रथम चाय की दुकान भी है।
माणा से जुड़ी कई कहानियां हैं। कहते हैं इस गांव का नाम ‘मणिभद्र आश्रम’ से लिया गया। मणिभद्र यक्ष देवता को गांव का संरक्षक देवता भी माना जाता है। गांववालों का ये भी कहना है कि इस गांव का इतिहास हजारों साल पुराना है। द्वापर युग यानि महाभारत काल से जुड़ा है माणा, ये भी मान्यता है। कहा जाता है कि पांडवों स्वर्ग की यात्रा के दौरान यहीं से गुजरे थे। इस गांव में एक ‘भीम पुल’ भी है, मान्यता है कि इसे भीम ने ही बनाया था।
माणा के आस-पास घुमने की जगह (Places To Visit In Mana)
माणा के नाम कई रिकॉर्ड होने के साथ ही यहां घूमने-फिरने की भी काफ़ी सारी जगहें हैं।
नीलकंठ चोटी (Neelkanth Peak): समुद्र तल से 6957 फ़ीट की ऊंचाई पर है नीलकंठ चोटी। इसे ‘गढ़वाली की रानी’ भी कहा जाता है। हर ट्रेकिंग के शौकीन को यहां घूमने का प्लान ज़रूर बनाना चाहिए।
तप्त कुंड (Tapt Kund): हिन्दू धर्म के अनुसार, तप्त कुंड में अग्नि देव का वास है। मान्यता है कि इस कुंड में औषधीय गुण हैं और यहां डुबकी लगाने से कई बीमारियां दूर हो जाती हैं।
वसुधरा (Vasudhara): बद्रीनाथ मंदिर से 9 किलोमीटर दूर है ये झरना. कहा जाता है कि वनवास के दौरान पांडव यहां कुछ समय के लिए रुके थे।
व्यास गुफ़ा (Vyas Cave): कहा जाता है कि इसी गुफा में महाभारत महाकाव्य लिखा गया था। गांव के प्रमुख आकर्षण स्थलों में से एक है।
भीम पुल (Bheema Pul): सरस्वती नदी पर बने इस पुल को भीम ने बनवाया था। द्रौपदी को नदी की धारा पार करने में परेशानी हो रही थी और तब भीम ने ये पुल तैयार किया।
माणा से कई ट्रेकिंग रूट्स भी हैं। यहां के वसुधरा झरने के लिए ट्रेकिंग, सतोपंथ झील के लिए ट्रेकिंग, चरणापादुका तक के लिए ट्रेकिंग कर सकते हैं।
कैसे पहुंचे माणा? (How To Reach Mana)
ऋषिकेश, हरिद्वार से आसानी से माणा पहुंचा जा सकता है। हरिद्वार है नज़दीकी रेलवे स्टेशन, जो माणा से 275 किलोमीटर दूर है। बस या टैक्सी से सड़क मार्ग द्वारा माणा जा सकते हैं। देहरादून से माणा 315 किलोमीटर दूर है।