केदारनाथःचार धाम यात्रा में यात्रियों की भीड़ दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। केदारनाथ पैदल मार्ग में ट्रैफिक बहुत ज्यादा बढ़ गया है। प्रशासन द्वारा भीड़ को काबू करना मुश्किल हो गया है। वहीं चार धाम यात्रा की व्यवस्थाओं को लेकर उत्तराखंड शासन और प्रशासन सवालों के घेरे में आ गई है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी चारधाम यात्रा की व्यवस्थाओं को लेकर अधिकारियों के साथ उच्च स्तरीय बैठकर लगातार कर रहे हैं। लेकिन केदारनाथ और यमुनोत्री में व्यवस्था ठीक होने के बजाय बिगड़ती जा रही है। चार धाम यात्रा खुले महीना भर नहीं हुआ की यात्रा के दौरान करीब 49 लोगों की मौत की खबर सामने आ रही है।
चारधाम यात्रा के प्रबंधन और व्यवस्थाओं को लेकर विपक्ष तो सवाल उठा ही रही है लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने भी प्रशासन पर सवाल खड़े किए हैं। रावत ने कहा है कि अगर उनका बनाया हुआ देवस्थानम बोर्ड आज अस्तित्व में होता तो यात्रा से संबंधित निर्णय बोर्ड स्वयं लेता और व्यवस्थाओं में सुधार होता। यात्रियों को इस तरह परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता और यात्रा बेहतर तरीके से चलती।
त्रिवेंद्र ने कहा कि देवस्थानम बोर्ड हो या फिर वर्तमान में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा सुझाया गया यात्रा प्राधिकरण बनाया जाए, दोनों का उद्देश्य एक ही है। दोनों का मकसद चारधाम यात्रियों को सुरक्षित व सुविधायुक्त यात्रा का प्रबंधन करना है। गौरतलब है कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने चारधाम यात्रा व्यवस्थाओं की समीक्षा करते हुए यात्रा प्राधिकरण के गठन की स्थिति देखने के अधिकारियों को निर्देश दिए हैं। पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा जिस तरह से यात्रा बढ़ रही है, उसको देखते हुए चार धामों को लेकर देवस्थानम बोर्ड का विचार आया था। डेढ़ साल की चर्चा के बाद हमने देवस्थानम चोर्ड का गठन किया था, ताकि चारधाम यात्रा व्यवस्थित व सुरक्षित हो सके और तीर्थ यात्रियों के लिए आराम देह यात्रा बना सकें। उन्होंने आगे कहा कि मेरे विचार से इस प्रकार की जो जरूरत हमने उस समय महसूस की भी थो आज उससे ज्यादा महसूस की जा रही है। बोर्ड बनने के बाद लोअर लेवल पर ही निर्णय हो जाते, बोर्ड निर्णय ले लेता, सरकार के लेवल पर आने की जरुरत नहीं पड़ती, शासन में नीतियों के कारण निर्णय लेने की लंबी प्रक्रिया होती है।
केदारनाथ की मान मर्यादा को बिगाड़ रहे
त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि मेरा उस समय भी अनुमान था कि 2025 तक एक करोड़ लोग चारधाम यात्रा में आएंगे। उसी को ध्यान में रखकर हमने तैयारी की बात की थी, जिसमें केदारनाथ रोपवे सहित, यमुनोत्री व गंगोत्री की बात की थी। ताकि यात्रा सुलभ हो और यात्री सुरक्षित वापस लौट सकें, क्योंकि मौसम कब बदल जाए उसका कोई भरोसा नहीं रहता है। 2013 में आपदा आई थी तब हेलीपैड प्रभावित हुए थे। केदारनाथ धाम में रील वीडियो वाले ब्रद्धालुओं द्वारा नई सांस्कृतिक गति. विधियों पर प्रतिक्रिया देते हुए पूर्व सीएम त्रिवेंद्र रावत ने कहा कि केदारनाथ धाम का पारंपरिक स्वरूप बनने का कोई कारण हैं, वहां शंख ध्वनि भी नहीं बजाई जाती है, कोई ना कोई तो इसका कारण होगा ही। इसलिए कोई नई सांस्कृतिक गतिविधियों से पहले कंदारनाथ धाम की मान मर्यादा और मूल परंपराओं का ध्यान रखा जाना चाहिए।
यात्रा प्राधिकरण का स्वरूप नहीं मालूम, देवस्थानम बोर्ड को अस्तित्व में लाना जरूरी
पूर्व सीएम त्रिवेंद्र रावत का कहना है कि मुझे नहीं मालूम कि मुख्यमंत्री ने यात्रा प्राधिकरण का क्या स्वरूप सोचा है, लेकिन मकसद तो एक ही है कि जो तीर्थ यात्री आ रहे हैं वे सुरक्षित व्यवस्थित पहुंच सकें। उन्होंने कहा कि सुबह के निर्णय शाम को पलटना दुर्भाग्यपूर्ण होता है, हम क्यों निर्णय ले रहे हैं ये स्पष्ट होना चाहिए। हमारा मुख्य उद्देश्य यात्रा का प्रबंधन व्यवस्थित व सुरक्षित कराना है, अगर कुछ लोग विरोध करते हैं तो करने दीजिए। मैं कह सकता हूं कि बोर्ड होता तो आज बोर्ड स्वयं निर्णय लेता, और यात्रा में जल्दी सुधार होता, अभी सरकार को निर्णय लेने पड़े। आप तिरुपति बालाजी जाइए या वैष्णो देवी देखिए, सब में यात्रा व्यवस्थित रहती है।