अर्जुन का परिवार भोटिया जनजाति से था, जो पीढ़ियों से तिब्बत के साथ व्यापार करता आया था। अर्जुन भी अपने परिवार के साथ ऊन और नमक का व्यापार करने में जुटा रहता था। हर वर्ष, वे गर्तांग गली के पुराने, पत्थरों से बने संकरे रास्ते से तिब्बत तक यात्रा करते थे। यह रास्ता काफी चुनौती पूर्ण और कठिन था फिर भी अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए वे हर वर्ष इस कठिन रास्ते से अपनी यात्रा किया करते थे।
एक बार, जब अर्जुन अपने पिता के साथ व्यापारिक यात्रा पर तिब्बत गया, तब उसने वहां त्सेरिंग नाम की तिब्बती लड़की देखी। अर्जुन ने ऐसा रूप सौंदर्य पहले कभी नहीं देखा था। त्सेरिंग के स्वच्छ हिमालय के जैसे धवल मुख को देखकर वह उसे देखता ही रहा। त्सेरिंग अपने परिवार के साथ तिब्बती वस्त्र और हस्तशिल्प का व्यापार करती थी। उनकी पहली मुलाकात एक मेले में हुई। अर्जुन ने त्सेरिंग के हाथ से की गई कढ़ाई बुनाई की तारीफ की। और फिर दोनो ही एक दूसरे की तरफ आकर्षित हुए और प्यार के धागे में बंधते चले गए।
अर्जुन और त्सेरिंग दोनो अलग अलग समुदाय से थे उनकी बोली भाषा और संस्कृति भी अलग थी। लेकिन इन सब चीजों के बाद भी वे एक दूसरे को बहुत चाहते थे। वक्त के साथ अर्जुन और त्सेरिंग का प्यार गर्तांग गली की तरह चुनौतीपूर्ण और कठिन होने लगा। दोनों के परिवार और समुदाय उनकी प्रेम कहानी को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं थे। भोटिया और तिब्बती समुदाय आपस में व्यापार तो करते थे लेकिन वैवाहिक संबंधों के लिए वह तैयार नहीं थे। अर्जुन और त्सेरिंग के सामने समुदाय और समाज की चुनौतियां दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही थी।
एक दिन गर्तांग गली में एक बड़ी सी चट्टान के नीचे खड़े होकर त्सेरिंग ने अर्जुन के हाथों को अपने हाथों में लेकर पूछा – क्या हमारा साथ यहीं तक है?? क्या हम दोनों मिलकर एक लंबा सफर कभी भी तय नहीं कर पाएंगे?? अर्जुन ने पहले चट्टान की ओर देखा और फिर चुपचाप त्सेरिंग की आंखों में देखता रहा। त्सेरिंग को भी उसकी नजर में चट्टान जैसा एक अटूट विश्वास दिखाई दिया। त्सेरिंग ने अर्जुन को गले लगा लिया।
कुछ समय बाद साहस करके उन दोनों ने अपने परिवार के लोगों से बातचीत की और उन्हें समझाया। कुछ समय तक तो दोनों परिवारों ने बहुत विरोध किया, लेकिन धीरे-धीरे अर्जुन और त्सेरिंग के समर्पण, दृढ़ता और सच्चे प्रेम को देखते हुए परिवारों ने अपनी स्वीकृति दे दी।
गर्तांग गली के पास एक छोटे से मंदिर में उन दोनों ने विवाह किया और खुशहाल जिंदगी की ओर कदम बढ़ाया। उनके इस विवाह संबंध ने दोनों समुदायों के बीच आपसी संबंधों को और मजबूत किया। जिस गर्तांग गली से अभी तक व्यापार चला करता था अब वहां से प्रेम और विश्वास की एक नई धारा बहने लगी।