मैं ट्रांसभारत एविएशन का हेलीकॉप्टर उड़ाता हूं। 31 जुलाई दोपहर को मैंने गुप्तकाशी से केदारनाथ के लिए उड़ान भरी। वहां यात्रियों को उतारने के बाद वापस लौटना ही चाहता था कि मौसम पैक हो गया। आसमान में बादल थे। वहीं रुक गया। केदारनाथ में रात को जबरदस्त बारिश हुई। 1 अगस्त की सुबह लगभग साढ़े पांच बजे मैंने केदारनाथ से उड़ान भरी। देखा, कि केदारनाथ पैदल ट्रैक पर जगह-जगह भीड़ है। ट्रैक पर लोग चलते हैं, रुकते नहीं। मुझे लगा कुछ गड़बड़ है। लैंड करने के बाद ग्राउंड क्रू को यह जानकारी दी। उन्होंने प्रशासन से बात की। प्रशासन को भी संभवतः पता चल गया था कि ट्रैक में भूस्खलन हुआ है।
प्रशासन ने आपदा कंट्रोल रूम हिमालय एविएशन के हेलीपैड पर बनाया। इसके बाद लिनचौली से आपरेशन शुरू किया। मैंने डीएम को सुझाव दिया कि केदारनाथ से रेस्क्यू मुश्किल होगा और समय भी लगेगा। ऐसे में भीमबली और किरवासा हेलीपैड से रेस्क्यू चले। एसडीआरएफ ने दोनों हेलीपैड की मरम्मत कर दी। इसके बाद मेरे साथ ही हिमालयन कंपनी के कैप्टन खान और कैप्टन नहाल और हेरिटेल के कैप्टन प्रताप और कैप्टन बॉबी इस अभियान का हिस्सा बन गये।
चॉपर को तय समय पर और तय सीमा में ही लैंडिंग और उड़ान भरनी होती है। चूंकि फंसे हुए यात्रियों की संख्या बहुत अधिक थी तो मैंने डीजीसीए से अतिरिक्त समय के लिए फ्लाइंग और लैंडिंग की अनुमति मांगी ताकि अधिक लोगों को रेस्क्यू किया जा सके। अनुमति मिल गयी। पहले दिन सभी चार हेलीकॉप्टर के पायलेट साढ़े चार घंटे तक उड़ान भरते रहे और सभी को सुरक्षित शेरसी के हिमालयन हेलीपैड पर उतारते रहे। इसके बाद दूसरे दिन एक बार फिर फ्लाईंग एक्सटेंशन लिमिट की परमिशन के लिए डीजीसीए के विंग कमांडर मनमीत चौधरी से अनुमति ली। अभियान में वायुसेना के चिनकू और एमआई-17 भी पहुंचे थे लेकिन उनको अधिक स्पेस वाला हेलीपैड चाहिए था और केदारनाथ से रेस्क्यू करना कठिन था। ऐसे में शासन प्रशासन को एविएशन कंपनियों पर ही निर्भर रहना पड़ा।
हेलीपैड पर सैकड़ों लोग खड़े थे और सभी पहले रेस्क्यू होना चाहते थे। ऐसे में व्यवस्था की गयी कि सीनियर सिटीजन, बच्चों और महिलाओं को पहले निकाला जाए। मेरे चॉपर में 6 और अन्य चॉपर में पांच-पांच लोगों को रेस्क्यू किया जा रहा था। बाद में वापसी में ये चॉपर यात्रियों और घोडे-खच्चरों के लिए राशन पानी और खाना लेकर गये। दूसरे दिन इस बीच मौसम पैक हो गया और अभियान रुक गया। मैं पिछले पांच साल से केदारनाथ में चॉपर उड़ा रहा हूं। मैं सेना से रिटायर्ड हूं और अब तक 5500 घंटे उड़ान भर चुका हूं। आपदा के दौरान मैंने 30 घंटे उड़ान भरी, लेकिन आपदा में लोगों की मदद कर सुकून मिला। मेरा मानना है कि इंसानियत से बड़ा कोई धर्म नहीं है और मुसीबत में फंसे लोगों की मदद करने से बड़ी कोई सेवा नहीं।