देहरादून: उत्तरकाशी का वरुणावत पर्वत पर एक बार फिर भूस्खलन की चपेट में आया है। भूस्खलन की घटना से प्रशासन और सरकार अलर्ट हो गई है।जिलाधिकारी उत्तरकाशी(DM Uttarkashi) ने मामले को गंभीरता से लेते हुए तकनीकी समिति का गठन किया है। तकनीकी समिति वरुणावत पर्वत लैंडस्लाइड मामले की जांच करेगी। इसके साथ ही आपदा प्रबंधन विभाग ने भी लैंडस्लाइड की घटना को गंभीरता से लिया है। विभाग ने इन्वेस्टिगेशन टीम को मौके पर रवाना किया है। वहीं गंगोत्री विधायक सुरेश चौहान ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को इसकी जानकारी दी। मुख्यमंत्री ने आपदा सचिव को दिए आपदाग्रस्त क्षेत्रों का निरीक्षण करने के निर्देश दिए हैं।
करुणावत पर्वत में रात को हुआ भूस्खलन
उत्तरकाशी वर्णावत पर्वत पर देर रात तकरीबन 11 बजे लैंडस्लाइड हुआ। यहां पर्वत का एक हिस्सा गिर गया। लैंडस्लाइड होने के बाद अफरा-तफरी का माहौल पैदा हो गया। इस घटना के बाद उत्तरकाशी की 2003 के हुए भीषण भूस्खलन की कड़वी यादें भी ताजा हो गई। इस मामले को लेकर आपदा प्रबंधन सचिव विनोद कुमार सुमन ने बताया देर रात हुई इस घटना की सूचना मिलते ही घटनास्थल पर प्रशासन ने जांच टीम मौके पर भेजी हैं।
कमेटी रिपोर्ट तैयार कर शासन को सौंपेगी
सचिव आपदा प्रबंधन विनोद कुमार सुमन(Vinod Kumar Suman) ने कहा कि भूस्खलन से अब तक किसी तरह की जनहानि और पशु हानि की सूचना नहीं हैं। उन्होंने कहा जिलाधिकारी के माध्यम से एसडीएम की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित की गई है। यह कमेटी पूरे मामले की रिपोर्ट तैयार कर एक दिन के भीतर शासन को देगी। रिपोर्ट के आधार पर ही आगे की कार्यवाही की जाएगी।उन्होंने बताया अगग जरूरत पड़ी तो इसका टेक्निकल इन्वेस्टिगेशन के लिए उच्चस्तरीय इन्वेस्टिगेशन भी करवाया जाएगा।
2003 में उत्तरकाशी शहर भंयकर लैंडस्लाइड का दंश झेल चुका है। तब वरुणावत पर्वत दरकने लगा था। उसे समय का यह भूस्खलन इतना भयावह था कि पूरे शहर पर संकट खड़ा हो गया था। शहर के ऊपर से वरुणावत पर्वत का हिस्सा धंसा, जिससे काफी जान माल का नुकसान हुआ था। अब एक बार फिर यह पहाड़ दरक रहा है।
तत्कालीन मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी ने लिया था एक्शन
साल 2003 में उत्तरकाशी के ऊपर मौजूद वरुणावत पर्वत ढहने लगा था। धीरे-धीरे पूरा पहाड़ शहर के ऊपर गिरने लगा था। जिसे देखते हुए तत्कालीन मुख्यमंत्री एनडी तिवारी सरकार ने तत्काल एक्शन लिया। उन्होंने 250 करोड़ की लागत से पूरे वरुणावत पर्वत का ट्रीटमेंट करवाया। लगातार कमजोर होते वरुणावत पर्वत के चलते एक अंडरग्राउंड सुरंग भी बनाई गई। जिससे आने जाने वालों के ऊपर जोखिम को कम किया जा सके।उसके बाद लगातार यहां पर सरकारो ने अपनी निगरानी रखी।