Ganesh Joshi disproportionate assets case:उत्तराखंड के कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी(Ganesh Joshi) की मुश्किलें आय से अधिक संपत्ति मामले में और बढ़ सकती हैं, क्योंकि अब कैबिनेट को यह निर्णय लेना है कि उनके खिलाफ केस दर्ज करने की अनुमति दी जाए या नहीं। इस मामले में न केवल विपक्षी दल, बल्कि भाजपा के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत(Trivendra Singh Rawat) भी धामी सरकार(Pushkar Singh Dhami) से निष्पक्ष जांच की मांग कर रहे हैं। त्रिवेंद्र रावत ने धामी सरकार को गीता का ज्ञान देते हुए कहा है कि, “अपना पराया छोड़ कर सरकार को न्याय का धर्म अपनाना चाहिए।” उन्होंने संकेत दिया कि सरकार को इस मामले में निष्पक्ष रहना चाहिए और अपने लोगों को बचाने के बजाय न्याय के पक्ष में खड़ा होना चाहिए।
इस बीच, कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा ने विशेष न्यायाधीश (सतर्कता) मनीष मिश्रा की अदालत के फैसले को बेहद गंभीर करार देते हुए कहा कि कृषि मंत्री गणेश जोशी को नैतिकता के आधार पर तुरंत इस्तीफा देना चाहिए। माहरा ने राज्यपाल से भी मांग की कि वे कृषि मंत्री को तुरंत बर्खास्त करें और इस पूरे प्रकरण की उच्च स्तरीय जांच कराएं।
दरअसल, एक अधिवक्ता, विकेश सिंह नेगी ने अदालत का दरवाजा खटखटाया है और वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी पर आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने का आरोप लगाया है। सतर्कता विभाग ने अदालत के आदेश पर जोशी के खिलाफ मामला दर्ज किया था और जांच में सबूत मिलने के बाद उत्तराखंड मंत्रिपरिषद से कार्रवाई की अनुमति मांगी थी। लेकिन कोई कार्रवाई न होने पर नेगी ने एक बार फिर न्याय की गुहार लगाई है।
विशेष न्यायाधीश मनीष मिश्रा ने सोमवार को अपने आदेश में कहा, “भारतीय संविधान के अनुसार, मंत्रिपरिषद कार्यपालिका में निर्णय लेने वाली सर्वोच्च संस्था है। यदि किसी लोक सेवक से संबंधित मामला कार्यपालिका की सर्वोच्च संस्था के विचाराधीन है, तो किसी भी अदालत के लिए निर्धारित समय सीमा से पहले आदेश देना उचित नहीं है।” अब यह देखना होगा कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी इस मामले में क्या कदम उठाते हैं। क्या वे निष्पक्ष जांच के लिए कड़ी कार्रवाई करेंगे, या हमेशा की तरह एक और समिति का गठन करके दबाव से बचने की कोशिश करेंगे? केवल समय ही बताएगा कि धामी सरकार इस मामले में कितना पारदर्शी और जवाबदेह साबित होती है।