टिहरी गढ़वाल: उत्तराखंड में आए दिन कर्मचारियों की मनमानी के किस्से सुन्ने को मिलते रहते है। जिसके चलते आम जनता को दिक्कतों का समाना करना पड़ता है। कुछ ऐसा ही टिहरी जिले के थौलधार ब्लॉक के गैर ग्राम पंचायत में देखने को मिला, जहां ग्राम पंचायत की अनुमती के बिना राजस्व उपनिरीक्षक (पटवारी) ने कुछ आम लोगों की उपस्थिती में वन पंचायत सरपंच का चयन कर दिया।
वहीं, ग्राम पंचायत लोल्दी में भी पटवारी वन पंचायत सरपंच का चयन भी करने वाले थे लेकिन गांव वालों को पता चल गया। गांव वालों ने बहिष्कार कर दिया और पटवारी को बैठक निरस्त करने को कहा। ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि पटवारी रविंद्र कौशल चंद लोगों के इशारे और खर्चा लेकर वन पंचायत सरपंच का चयन कर रहे हैं।
वहीं जब स्थानीय व्यक्ति जयेंद्र पडियार द्वारा पटवारी से फोन कर पुछा गया तो पटवारी ने कहा कि मैनें 36 जगह अपनी अध्यक्षता में चुनाव करवा लिया है और अधिकारी का फोन आया हुआ था। जयेंद्र पडियार द्वारा पटवारी से पूछा गया कि किस पंचायत भवन में बैठक की गई तो पटवारी ऊंची आवाज में कहता कि आप ने ताला मार रखा था। वहीं, पटवारी ने कहा कि आप डीएम के पास जाइए मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता। ग्राम प्रधान रोशनी पडियार ने इस मामले पर जिलाधिकारी को पत्र लिखा है।
पहले भी सुर्खियों में रहा पटवारी
इस से पहले भी पटवारी रविंद्र कौशल कमान में ओलवेदर रोड पर काम पर रहे लेबर की आपसी झड़प होने पर पीड़ित पक्ष पटवारी को फरियाद लेकर गए तो पटवारी द्वारा फरियादियों के साथ दुर्व्यवहार किया गया और कहा गया की मैं क्या करूं अगर आपसी झड़प हुई है तो जिसके बाद तहसील में पटवारी का दूबारा वही व्यवहार देखने को मिला और पीड़ित लोगों के साथ झड़क कर दी।
सवाल उठता है कि क्या अधिकारी अपनी मनमानी कर के ग्राम सभा के अधिकारों को छीन सकते हैं?
ग्राम प्रधान की अध्यक्षता में चयन होता है वन पंचायत सरपंच
वन पंचायत सरपंच का चयन ग्राम पंचायत के प्रधान की अध्यक्षता में आम बैठक में ग्राम सभा की कम से कम 50 प्रतिशत जनसंख्या की उपस्थिति में आरक्षण के आधार पर होता है तथा बैठक ग्राम सभा के पंचायत भवन में होती है।
वन पंचायक एक्ट में 5 प्रतिशत आरक्षण महिलाओं का होता है। एक पंचवर्षीय में महिता और एक पंचवर्षीय में पुरुष वन पंचायत सरपंच बन सकता है। जबकि, गैर ग्राम पंचायत में पिछले पंचवर्षीय में पुरूष वन पंचायत सरपंच रह चुका है। इस बार भी पटवारी ने मनमानी करके पुरुष को वन पंचायत सरपंच नियुक्त किया। बैठक में ग्रामवासी प्रयाप्त मात्रा में नहीं थे। जिससे ग्राम प्रधान और ग्राम सभा के अधिकारों का हनन हो रहा है।